जन्मदिवस - नेल्सन मंडेला, राजेश जोशी, मेहदी हसन
आज है 18 जुलाई यानी अपने-अपने क्षेत्र के तीन महारथियों का जन्मदिन, जिनमें रंगभेद नीति के विरोध के प्रतीक नेल्सन मंडेला, ग़ज़ल के शहंशाह मेहदी हसन जिनकी गायकी को आज भी लोग बहुत पसंद करते हैं और राजेश जोशी जिन्होंने 'मारे जाएँगे', 'बच्चे काम पर जा रहें है', 'समरगाथा' आदि जैसी व्यंग्यात्मक कविताएँ लिखी | कूड़ा-करकट टीम की ओर से इन तीनों को नमन | फोटो एडिट आमिर 'विद्यार्थी' द्वारा |
(((((((((( नेल्सन मंडेला )))))))))
मंडेला
वाह! वह भी क्या इंसान हुआ!
नहीं स्वीकार था उसे
अपने अंदर के इंसान को
समर्पण करने देना
घोर अमानवीय कृत्य के भी आगे।
किसने उससे क्या लिया क्या छिना
इससे कोई फर्क नहीं पड़ा
वो या उसका व्यक्तित्व
न इससे कभी छोटा पड़ा।
भयानक दासता और दमन से जन्मा
अपने अंदर सम्मान और आजादी की
निरंतर चाह लिए हुए
जीता रहा देखने को अंत
उस दानवी शासन का
पर ह्रदय मे कभी नही थी
कोई कड़वाहट या घृणा
जीवन था उसका उत्सव
हंसी, खुशी और आजादी का।
बहुत नहीं है
अभी तक पैदा हुए इस धरती पर
उस जैसा युग-पुरुष
आशा है उसका जीवन
अपनी प्रेरणा से पैदा कर सकेगा
उस जैसे ही अनेक महापुरुष
जिसकी जरूरत है
भविष्य को।
वाह! वह भी क्या इंसान हुआ!
___प्रेम व प्रसाद
ईशा ब्लॉग से साभार
"मैं जातिवाद से बहुत नफरत करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है. फिर चाहे वह अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो या श्वेत व्यक्ति से |"
"लोगों को उनके मानव अधिकारों से वंचित रखना, उनकी असल मानवता को चुनौती देना है |"
__नेल्सन मंडेला
(((((((( राजेश जोशी ))))))))
मारे जाएँगे
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे
कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे
जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफ़ेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे, मारे जाएँगे
धकेल दिये जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नहीं गाएंगे, मारे जाएँगे
धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएँगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफिर करार दिये जाएँगे
सबसे बड़ा अपराध है इस समय निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नहीं होंगे, मारे जाएँगे |
कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे
जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफ़ेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे, मारे जाएँगे
धकेल दिये जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नहीं गाएंगे, मारे जाएँगे
धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएँगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफिर करार दिये जाएँगे
सबसे बड़ा अपराध है इस समय निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नहीं होंगे, मारे जाएँगे |
(((((((( मेहदी हसन ))))))))
कुछ ग़ज़लें आज याद आ रहीं हैं जिन्हें हमने अनगिनत बार सुना है और सुनते रहते हैं | शहंशाह-ए-ग़ज़ल को आज याद करते हैं उन्हीं के द्वारा गायी हुई ग़ज़लों से |
- रंजिश ही सही
- चरागे तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है
- प्यार भरे दो शर्मीले नैन
- दिल ए नादान तुझे हुआ क्या है
- वो दिल नवाज़ है
- आज वो मुस्कुरा दिया
- जब आती है तेरी याद
- मैं नज़र से पी रहा हूँ
- ये मोजिज़ा भी मुहब्बत कभी
- दिल की बात लबों पे लाकर
- दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं
- दायम पड़ा हुआ हूँ
- मुब्हम बात पहेली जैसी
- एक बस तू ही नहीं मुझसे खफा हो बैठा
- एक सितम और मेरी जाँ अभी जाँ बाकी है
- शोला था जल बुझा हूँ
- ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
- उसने जब मेरी तरफ प्यार से देखा होगा
- किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह
- मैं ख्याल हूँ किसी और का
- राजस्थानी लोक गीत पधारो म्हारे देश
- जब उस ज़ुल्फ़ की बात चली
- तूने ये फूल जो जुल्फों में लगा रखा है
- गुलों में रंग भरे बादे नौ बहार चले
- आये कुछ अब्र कुछ शराब आये
- पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
- तुम्हारे साथ भी तनहा हूँ
- मुहब्बत करने वाले
- रफ्ता रफ्ता
- भूली बिसरी चंद उम्मीदें
- अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
- मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
- हर दर्द को ए जाँ मैं सीने में सामा लूं
- रोशन जमाल ए यार से हैं
- भूली बिसरी चाँद उम्मीदें
- गुंचा ए शौक लगा है
आप और आपकी टीम एैसे ही हमारे अज्ञानता का अपहरण करते रहें। साहित्य,राजनीति और संगीत के संगम को आप ने अपने पोस्ट में अवतरित करने का सफल प्रयास किया है,आज के अंधकार रुपी समाज में जहाँ वैमनस्य चरम पर है,खोखली नैतिकता का बोलबाला है, वैसे समाज में हमें इन तीनों पथप्रदर्शकों की जरूरत है। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपकी इस सारगर्भित संक्षिप्त टिप्पणी के लिए बहुत आभार
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