फूलों को मसलने वाले खूनी पांवों को
शायद यह पता नहीं था
फूल जितने रौंदे जाएंगे
खुशबू उतनी तेज होगी! मदन कश्यप
देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में फूलों का बड़ा ही महत्त्व रहा है और अभी भी है | देवताओं के चेहरे आखिर फूल ही खिलातें है , मज़ारों पर तड़का भी इन्ही फूलों का लगता है और मजे की बात तो ये है कि सम्पूर्ण सत्ता प्रकृति पर निर्भर है | बस इसी महत्त्व को अपने-अपने ढंग से सिद्ध करने के लिए बड़े-बड़े विद्वान आकर चले गये | ख़ैर एक रोज़ लगायेगी नारे प्रकृति भी अपनी आजादी के |
नतीजन यदि मैं फूल होता
पहुँच जाता मुखालफ़त करने जहन्नुम में |
photo by - आमिर 'विद्यार्थी'
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